हर महिला चाहती है कि उसकी प्रेगनेंसी एक हेल्दी प्रेगनेंसी हो और वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे लेकिन कई बार कुछ ऐसी परिस्थितियां हो जाती है जो महिला के इस सपने को तोड़ देती हैं और इनमें से एक परेशानी है एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi) जिसको की अस्थानिक गर्भावस्था भी बोला जाता है तो आज के इस ब्लॉग में मैं आपको एकटॉपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi) के कारण (Reasons of Ectopic Pregnancy), लक्षण (Symptoms of Ectopic Pregnancy) और ट्रीटमेंट (Treatment of Ectopic Pregnancy) के बारे बात करेंगे
What is Ectopic Pregnancy in Hindi
जब भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बारे में बात की जाती है तो सबसे पहला सवाल आता है कि एकटॉपिक प्रेगनेंसी है क्या (Ectopic Pregnancy in Hindi) आमतौर पर जब महिला की फैलोपियन ट्यूब में एग और स्पर्म आपस में मिलते हैं तो एग फर्टिलाइज हो जाता है और फर्टिलाइज्ड एग वहां से निकलता है तो यूट्रस की बॉल में आकर के चिपकता है लेकिन कई बार यह एग यूट्रस की वॉल में चिपकने की बजाय फेलोपियन ट्यूब में ही चिपक जाता है और यही पर प्रेगनेंसी आगे बढ़ने लगती है और इसी परेशानी को बोलते हैं एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi)
Reasons of Ectopic Pregnancy in Hindi
अब आपको यह तो पता चल गया कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती क्या है पर अब आपको यह जानना बहुत जरूरी होता है कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने के कारण (Reasons of Ectopic Pregnancy in Hindi) क्या होते हैं
आमतौर पर इसके कोई खास कारण नहीं होते हैं लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां होती हैं जिन परिस्थितियों में एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने का खतरा बढ़ जाता है जो निम्नलिखित है
पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज
पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज महिला के शरीर में होने वाला वह इंफेक्शन है जो रिलेशन बनाते वक्त बैक्टीरिया के तौर में महिला के प्राइवेट पार्ट में आ जाता है और इसकी वजह से महिला के प्राइवेट पार्ट में इंफेक्शन हो जाता है | आमतौर पर इसके कोई खास लक्षण नहीं होते हैं और इसी वजह से इसको पहचानना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि इसके लक्षण में आप को पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द हो सकता है
एंडोमेट्रियोसिस होना
एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी परेशानी है जहां पर पेल्विक एरिया के टिशूज जैसे ही टिशूज पेल्विक एरिया के बाहर भी डिवेलप होने लगते हैं यह टिशूज अक्सर करके ओवरीज, फैलोपियन ट्यूब, यूट्रस पेल्विक एरिया में डिवेलप होते हैं लेकिन यह अपने आप ही खत्म भी होते रहते हैं लेकिन कभी-कभी यह टिशू अपने आप खत्म नहीं होते और इसी वजह से आपको एंडोमेट्रियोसिस की परेशानी हो जाती है इस परेशानी में आपको मेंसुरेशन पीरियड के दौरान बहुत दर्द होता है और कई बार तो यह दर्द असहनीय हो जाता है
सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन
आधुनिक युग में लोग अलग-अलग क्रीम, अलग-अलग तेल का इस्तेमाल रिलेशन बनाते वक्त करते हैं | कई बार इन तेल और क्रीम की वजह से या फिर किसी अन्य कारण की वजह से इंफेक्शन महिला के प्राइवेट पार्ट में पहुंच जाता है और जब यह इन्फेक्शन महिला के प्राइवेट पार्ट में रिलेशन बनाने के दौरान हो जाता है तो इसी को सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज भी बोला जाता है | इस को पहचानना नामुमकिन है क्योंकि जब तक उस इंफेक्शन से कोई समस्या शुरू नहीं हो जाती तब तक आप को पता नहीं चलता है कि रिलेशन बनाने की वजह से आपको कोई इंफेक्शन हुआ है या नहीं
Ectopic pregnancy symptoms in hindi
जब महिला के गर्भ में कोई समस्या होने की वजह से भ्रूण यूट्रस में इमप्लांट नहीं हो पाता है तो इसी समस्या को एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi) कहा जाता है | अक्सर एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण प्रेगनेंसी कंसीव होने के 6 से 8 हफ्ते के बाद ही दिखना शुरू होते हैं कई बार एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण जानलेवा भी होते हैं ऐसे में आपको यह जानना कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण (Ectopic Pregnancy Symptoms in Hindi) क्या-क्या होते हैं काफी जरूरी होता है और इनमें से कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
- महिला के शरीर में कमजोरी महसूस होना
- प्राइवेट पार्ट से बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना
- यूरिन करते वक्त या पॉटी करते वक्त दर्द होना
- चक्कर आना और थकान होना
- पेट के निचले हिस्से में बहुत तेज दर्द होना
- पीठ के पिछले हिस्से में दर्द होना
- उल्टी होना और साथ में दर्द होना
एक्टोपिक प्रेगनेंसी को पता लगाना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण प्रेगनेंसी जैसे ही होते हैं जैसे कि पीरियड का मिस होना, ब्रेस्ट में दर्द होना | इसीलिए जैसे ही किसी महिला को ऊपर दिए हुए लक्षण महसूस हो उन्हें तुरंत ही किसी डॉक्टर से इसके बारे में बात करनी चाहिए क्योंकि अगर एक्टोपिक प्रेगनेंसी को समय पर ट्रीट ना किया जाए तो यह आपके शरीर में ब्लीडिंग शुरू कर सकता है और जिसकी वजह से ऑर्गन फेल हो सकते हैं यहां तक कि महिला की मृत्यु भी हो सकती है
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Ectopic pregnancy treatment in hindi
एक्टोपिक प्रेगनेंसी को कंटिन्यू नहीं किया जा सकता क्योंकि फर्टिलाइज्ड एग गर्भाशय के बाहर जिंदा नहीं रह सकता | ऐसे में प्रेगनेंसी की कंडीशन के हिसाब से और पेशेंट की कंडीशन के हिसाब से दो अलग-अलग ट्रीटमेंट (Ectopic Pregnancy Treatment in Hindi) अक्सर करके डॉक्टर्स देते हैं |
अगर आपके प्रेगनेंसी को ज्यादा समय नहीं हुआ है तो ऐसे में डॉक्टर आपको दवाइयां देते हैं जिसकी वजह से एग का डेवलपमेंट रुक जाता है और प्रेगनेंसी अपने आप ही खत्म हो जाती है
लेकिन अगर प्रेगनेंसी काफी आगे बढ़ गई है और इस ट्रीटमेंट के जरिए इसका सलूशन नहीं निकलता है तो लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के जरिए महिला के शरीर से फर्टिलाइज्ड एग को निकाला जाता है इसके लिए पेट के ऊपरी हिस्से में एक छोटा सा छेद करके एक डिवाइस डाला जाता है जो कि एग को बाहर निकालने में मदद करता है